12 November Biology Sent Up Exam 2025 12th Bihar Board
Bseb Inter Sent Up Exam Biology 2025- नमस्कार दोस्तों आज किस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं किस प्रकार आप इंटर का सेंट अप परीक्षा का ओरिजिनल प्रश्न पत्र डाउनलोड कर सकते हैं अगर आपको इंटर सेंट अप परीक्षा जीव विज्ञान(Biology) का प्रश्न पत्र डाउनलोड करना है तो आप सही पोस्ट पर आए हैं और आपको मैं यह जानकारी देंगे किस प्रकार आप आसानी से जीव विज्ञान(Biology) के सेंट अप परीक्षा का बिहार बोर्ड के द्वारा जो आयोजन किया जा रहा है उनका ओरिजिनल प्रश्न पत्र कैसे डाउनलोड करना है किस प्रकार डाउनलोड करना है उसके साथ-साथ यह भी बताएंगे इसका रूटिंग के साथ-साथ ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव का प्रश्न उत्तर कैसे डाउनलोड करना है अगर आप भी बिहार बोर्ड से इंटर की बोर्ड परीक्षा 2025 में देने वाले हैं तो यह पोस्ट आपके लिए काफी लाभदायक साबित होने वाला है आप इस पोस्ट को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें जिससे आपको सेंट अप परीक्षा की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी
इंटर जीवविज्ञान की परीक्षा कब और किस समय लिया जायेगा?
दोस्तों अगर आप इस आर्टिकल को पढ़ा रहे है तो जरूर आप कक्षा 12वीं के विद्यार्थी है जो 12 नवंबर के दिन द्वितय पाली में पेपर होने वाला है इस जीवविज्ञान के प्रश्नपत्र का आंसर की प्राप्त कर सके तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल मे आये है तो इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को जीवविज्ञान के ओरिजिनल क्वेश्चन पेपर का बताएंगे कि अगर आप प्रश्न उत्तर को डाउनलोड करना चाहते है तो कहां से डाउनलोड कर सकते हैं तो आप लोग हमारे साथ इस आर्टिकल में जरूर बने रहिएगा
Bseb 12th Sent Up Exam 2025 Biology Question Paper
BIHAR BOARD | INTER SENT UP EXAM |
SESSION | 2023-25 |
SUBJECT/CODE | BIOLOGY 119 |
EXAM DATE | 12-11-2024 |
EXAM TIME | 01:45 PM to 5:00 PM |
EXAM SITTING | 1ST SITING |
कक्षा 12वीं सेंट अप परीक्षा 2025- EXAM CENTRE
इस सेंट अप परीक्षा का आयोजन आपके विद्यालय के स्तर पर होगा। हालांकि इसके लिए बिहार बोर्ड के द्वारा बताया गया था कि इसका एडमिट कार्ड जारी होगा उसके अनुसार आपका परीक्षा होगा तो जैसा कैसे पता है आपको एडमिट कार्ड परीक्षा का मिल चुका होगा तो आपकी परीक्षा का सेंटर कहां होगा आप उसे अपने एडमिट कार्ड में देख सकते है अर्थात की जिस भी विद्यालय में आपका नामांकन है। उसी में जाकर आपको परीक्षा देना पड़ेगा |
Admit Card Of Inter Sent Up Exam 2023-25
इस परीक्षा के लिए बिहार बोर्ड के तरफ से मैट्रिक की सेंटअप परीक्षा में राज्यभर से 15 लाख और इंटर की सेंटअप परीक्षा में 13 लाख विद्यार्थियों के शामिल होने का अनुमान है। परीक्षा समिति पहली बार सेंटअप परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी कर रहा है। वार्षिक परीक्षा 2025 का एडमिट कार्ड अलग से जारी किया जाएगा। सेंटअप परीक्षा के लिए विद्यार्थी परीक्षा समिति की वेबसाइट एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं। बिहार बोर्ड के तरफ से ऑफिशियल एडमिट कार्ड जारी किया जाएगा। क्योंकि यह आपके विद्यालय के स्तर पर आयोजित होने वाला एकमात्र आंतरिक जांच परीक्षा है।
इंटर सेंट अप परीक्षा का प्रश्न पत्र कहां से आएगा ?
कक्षा इंटर के सेंट अप परीक्षा का प्रश्न पत्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तैयार करके भेजेगा उसके साथ साथ उत्तर पुस्तिका भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ही तैयार करके भेजेगा। और सबसे खास बात ये है की इस परीक्षा का पैटर्न की अगर बात किया जाये तो इस परीक्षा का पैटर्न 100% बुक से पुरे चैप्टर से क्वेश्चन लिया जायेगा इसलिए इसकी तैयारी आपको जीजान लगा के करना चाहिए
बिहार बोर्ड इंटर सेंट अप परीक्षा 2025 का रूटीन कैसे डाउनलोड करें
अगर आप अभी तक इंटर सेंट अप परीक्षा 2025 का रूटिंग नीचे दिए गए लिंक के अनुसार आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं
Bihar Board 12th | Inter Sent Up Exam 2025 |
Inter Exam Routine | Download |
Sent Up Question Paper | Download Here |
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इंटर सेंट अप परीक्षा 2024 कॉपी का जांच कहां होगा ?
इसके कॉपी की अगर बात किया जाए तो उसका कॉपी का मूल्यांकन बिहार में शिक्षा समिति के द्वारा बताएं आप जिस विद्यालय में सेंट अप का परीक्षा देने जाएगे इस विद्यालय में कॉपी का मूल्यांकन होगा अर्थात बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा कॉफी के मूल्यांकन के लिए कोई भी ऑफिशियल केंद्र नहीं जारी किया गया है बिहार बोर्ड इंटर सेंट अप का रिजल्ट परीक्षा समिति के द्वारा ऑफिशल वेबसाइट पर अपडेट करना होगा अर्थात इंटर के सेंट अप परीक्षा के कॉपी का मूल्यांकन आपके विद्यालय के स्तर पर ही होगा।
BSEB Inter Sent Up Exam 2025 Biology Objective Answer Key –
Q.NO-ANS | Q.NO-ANS | Q.NO-ANS | Q.NO-ANS | Q.NO-ANS |
1-B | 21-C | 41-A | 61-C | 81- |
2-D | 22-D | 42-D | 62-C | 82- |
3-A | 23-C | 43-B | 63-B | 83- |
4-B | 24-A | 44-C | 64-C | 84- |
5-A | 25-B | 45-B | 65-D | 85- |
6-A | 26-D | 46-A | 66-A | 86- |
7-B | 27-D | 47-D | 67-B | 87- |
8-A | 28-A | 48-D | 68-D | 88- |
9-D | 29-D | 49-A | 69-A | 89- |
10-A | 30-B | 50-A | 70-D | 90- |
11-C | 31-A | 51-A | 71- | 91- |
12-B | 32-D | 52-A | 72- | 92- |
13-D | 33-B | 53-A | 73- | 93- |
14-D | 34-C | 54-D | 74- | 94- |
15-C | 35-A | 55-D | 75- | 95- |
16-D | 36-C | 56-B | 76- | 96- |
17-D | 37-B | 57-B | 77- | 97- |
18-C | 38-A | 58-D | 78- | 98- |
19-A | 39-C | 59-B | 79- | 99- |
20-D | 40-D | 60-A | 80- | 100- |
Inter Sent Up Exam Biology Subjective Question Download Link –
(Section-B) Short Type Question Answer
1.Ans- प्रारम्भ में उत्पन्न जीव समुद्र जल से अवशोषित कार्बनिक पदार्थों के किण्वन से ऊर्जा प्राप्त करते थे यानी ये रसायन पर पोषी थे तथा माध्यम अनॉकसीय था समुद्र जल से कार्बनिक पदार्थों के लगातार अवशोषण से इसकी मात्रा में कमी आयी तथा किण्वन द्वारा उत्पन्न कार्बनडायऑक्साइड से लम्बी अवधि में इसकी मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हो गयी अत: उस समय समुद्र में मौजूद मैग्नेसियम पॉरफायरिन्स से क्लोरोफिल की उत्पत्ति हुई इसमें जीवों में सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन निर्माण की क्षमता आ गई फलतः रसायन परपोषी जीव स्वपोषी में बदल गये । प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डायऑक्साइड का उपयोग हुआ तथा ऑक्सीजन की उत्पत्ति हुई इसमें अनॉक्सीय वायुमण्डल ऑकसीय में बदल गया तथा अधिक उन्नत प्रकार के जीवन/जीवों के उत्पत्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया ।
2. Ans- पूर्ण कायिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से सुचारुपूर्वक शरीर की गतिविधि के । संचालन की अवस्था को स्वास्थ्य कहते हैं।
3. Ans– खाद्य प्रसंस्करण में इस्तेमाल होने वाले दो सूक्ष्मजीव ये हैं: बैक्टीरिया, यीस्ट
4. Ans- जैव विविधता के महत्व- जैवविधता एक प्रकार से प्राकृतिक संसाधन है जिनमे विभिन्न जीवों के लील्ये प्राकृतिक एवं जैविक स्त्रोत मिलते है| इससे मनुष्य की आहारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती है| जैवविधता का महत्व निम्न रूपों में देखा जा सकता है|
(1) औषधीय महत्व- प्राचीन काल से ही जड़ी-बूटियों का उपयोग अनेक प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है| एक अनुमान के अनुसार आज लगभग 40 प्रतिशत उपलब्ध औषिधियों को वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता है | पृथ्वी पर समय-समय पर कई असाध्य बीमारियां आई है जिनका इलाज जैवविविधता ने ही खोजै है| असाध्य मलेरिया ज्वर का इलाज सिनकोना पादप की छाल में मिला| इसी प्रकार सदाबहार विनक्रिस्टीन तथा विनब्लास्टिन पौधों का उपयोग असाध्य रक्त कैंसर के उपचार में होता है|
(2) आर्थिक महत्व- जैवविविधता हमें प्रत्यख रूप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती, लकड़ी, आघोगिक कच्चा माल उपलब्ध कराती है| जैव विविधता के कारण ही हमें विविधता पूर्ण भोजन, धान, अनाज, फल, सब्जियाँ मिलती है|
6. Ans- एकल कोशिका प्रोटीन (SCP)-प्रोटीन प्रचुरता वाले सूक्ष्म जीव जिसका भोजन या चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है उसे एकल कोशिका प्रोटीन कहा जाता है। उदाहरण-मशरूम, स्पीरूलिना।
7. Ans- वन संरक्षण में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम है. पर्यावरण संरक्षण के लिए महिलाओं ने कई आंदोलनों में भाग लिया है और अपने प्राणों की आहुति भी दी है. वन संरक्षण में महिलाओं की भूमिका के बारे में कुछ खास बातेंः
8. Ans- मृदा, चट्टानें, वर्षा, हवा, ताप के बीच पारस्परिक क्रिया के द्वारा बनती है। हवा तथा ताप परिवर्तन के प्रभाव से चट्टानें छोटी-छोटी टुकड़ों में टूटकर पाउडर के रूप में हो जाती है तथा मृदा का निर्माण करती हैं।
10. Ans- (i) नन्दा देवी जैवमण्डलीय संरक्षित क्षेत्र उत्तराखण्ड।
(ii) पंचमढ़ी जैवमण्डलीय संरक्षित क्षेत्र, मध्य प्रदेश।
11. Ans- ऐसे जीवों का समूह जिनमें आधारभूत विशेषताएँ समान होती हैं तथा जो आपस में लैंगिक जनन कर सकते हैं, स्पीशीज कहलाता है।
11. Ans- किसी भी उद्योग में विनिर्माण प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट पदार्थों को कहते हैं यह तरल, गैसीय या ठोस रूप में हो सकता है.
13. Ans- द्वि निषेचन आवृतबीजीयों की विशेषता है, और इसमें युग्मक संलयन और त्रिक संलयन शामिल होते हैं। एक अंड कोशिका के साथ एक नर युग्मक के संलयन को युग्मक संलयन कहते हैं, और इसके परिणामस्वरूप द्विगुणित युग्मक का निर्माण होता है। द्वितीय केंद्रक के साथ दूसरे नर युग्मक के संलयन को त्रिक संलयन कहते हैं, और इसके परिणामस्वरूप त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक का निर्माण होता है। द्वि निषेचन से बीजों की जीवन क्षमता में भी वृद्धि होती है और पराग कणों द्वारा उत्पादित दोनों नर युग्मकों का उपयोग होता है।
Long Type Question Answer
21.Ana- वायु प्रदूषण की परिभाषा कहती है कि जब हवा में कोई भौतिक, रासायनिक या जैविक परिवर्तन होता है और उसे दूषित करता है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। हवा का प्रदूषण कई कारकों जैसे जहरीली या हानिकारक गैसों, धुएं, कोहरे, धुंध, धूल आदि के कारण हो सकता है। वायु प्रदूषण पौधों के साथ-साथ जानवरों को भी प्रभावित करता है।
23. Ans- आर्थिक लाभ के लिये मधुमक्खियों का पालन-पोषण तथा प्रबंधन मधुमक्खी पालन कहलाता है। मधुमक्खियों से हमें शहद या मधु तथा मधुमोम प्राप्त होते हैं। इन उत्पादों के अतिरिक्त परागण में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा योगदान होता है। । मधुमक्खी एक संघचारी कीट है, अर्थात् ये समूह में एक उपनिवेश या कॉलनी बनाकर रहते हैं। इनका निवास मधुमक्खी का छत्ता कहलाता है। मधुमक्खी के एक छत्ते में तीन प्रकार की जातियाँ होती हैं। एक छत्ते में सामान्यतः एक रानी मधुमक्खी, कुछ नर मधुमक्खी या ड्रोन तथा कई कार्यकर्ता या सेवक होते हैं। इन जातियों में श्रम-विभाजन पाया जाता है। अर्थात् एक जाति या वर्ग किसी विशेष प्रकार के कार्य का ही सम्पादन करता है। रानी मधुमक्खी का काम मात्र अण्डे देना है। ड्रोन का कार्य रानी मधुमक्खी को अण्डे देने के लिये निषेचित करना है। इन कार्यों के अतिरिक्त छत्ते की बाकी सभी कार्यों का संपादन कार्यकर्ता या सेवक करते हैं। जैसे छत्ते का निर्माण करना एवं मरम्मत करना, भोजन के लिये फूलों से परागकण एवं मकरंद एकत्रित कर छत्ते में लाना, छत्ते की सफाई एवं सुरक्षा, बढ़ते लार्वा को भोजन कराना इत्यादि कार्यों का संपादन कार्यकर्ता ही करते हैं। कार्यकर्ता द्वारा एकत्र किये गये परागकण एवं मकरंद ही इनके भोजन हैं। कार्यकर्ता के आहारनाल में परागकण तथा मकरंद में कई प्रकार के जीव रासायनिक परिवर्तन के बाद शहद या मधु का निर्माण होता है। यह इसी मधु को कार्यकर्ता छत्ते में संचित रखते हैं। मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले मधु या शहद हमारे लिये एक अत्यंत पौष्टिक भोज्य पदार्थ है। शहद में खनिज लौह तथा कैल्सियम प्रचुर मात्रा में होता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि बनाने में किया जाता है। प्राकृतिक रोगाणुरोधक भी होता है। मधुमक्खी के छत्ते का निर्माण कार्यकर्ताओं द्वारा स्रावित मोम से होता है। यह मोम मधुमोम कहलाता है। मधुमोम हमारे लिये भी कई प्रकार से उपयोगी होता है। इसका व्यवहार प्रसाधन सामग्री, मोमबत्ती, विभिन्न प्रकार के पॉलिश, दाढ़ी बनाने के उपयोग में आनेवाले क्रीम के उत्पादन में किया जाता है। सामान्यतः मधुमक्खियाँ अपने छत्ते पेड़ की डालियों के कपर या पुराने भवनों की छत एवं दीवारों के बीच के कोने जैसे सुरक्षित स्थानों पर बनाती हैं। परन्तु मधुमक्खी पालन के लिये कृत्रिम मधुमक्खी पेटिका का उपयोग किया जाता है। इन कृत्रिम पेटिकाओं को फुलवारी या बागानों में या अन्य खुले स्थानों में रखा जाता है। फुलवारी या बागान जहाँ से मधुमक्खियाँ परागकण तथा मकरंद एकत्र करती हैं चारागाह कहलाता है। मधु की गुणवत्ता चारागाह में उपलब्ध फूलों की किस्मों पर निर्भर करता है। मधु का स्वाद भी फूलों के किस्मों पर ही निर्भर करता है। मधुमक्खी पालन एक अत्यंत कुशलता एवं सावधानी से किये जानेवाला कार्य है। ऐसे कृत्रिम मधुमक्खी पेटिकाओं से मधु निकालते समय एक विशेष प्रकार के वस्त्र तथा दस्तानों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार मधुमक्खी पालन आर्थिक लाभ को बढ़ावा देने वाला एक अच्छा व्यवसाय है, जो बहुत ही कुशलता एवं दक्षता से चलायी जाती है, अतः कहा जा सकता है कि मधुमक्खी पालन एक व्यवसायी के लिये एक अच्छा और लाभ कमाने वाला व्यवसाय है।
नीचे दिए गए लिंक से आप सब्जेक्टिव प्रश्न का उत्तर PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते है ।
INTER SENT UP EXAM | CLASS 12th 2023-25 |
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